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Halal ban or electoral politics An investigation into the UP government's decision

हलाल बैन या चुनावी राजनीति? यूपी सरकार के फैसले की पड़ताल

विषयसूची

21 अक्टूबर 2025, मंगलवार का दिन था, जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर में ‘दीपोत्सव से राष्ट्रोत्सव’ कार्यक्रम में भाषण दे रहे थे, जिसे RSS द्वारा आयोजित किया गया था। इस सभा में मुख्यमंत्री ने एक विवादित बयान देते हुए हलाल और आतंकवाद को एक साथ जोड़ दिया। देश जनता है कि बीजेपी की राजनीति में मुसलमान और इस्लाम अक्सर चुनावी रणनीति का हिस्सा बनते हैं।

जैसे आजकल बिहार चुनाव के समय बीजेपी द्वारा समाज में ध्रुवीकरण (polarisation) की कोशिश की जा रही है, और बीजेपी की जुबान पर इस्लाम, मुसलमान या पाकिस्तान जैसे शब्दों से नई नई फर्जी कहानियां उभर रही हैं।

उदाहरण के रूप में, बीजेपी के कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह द्वारा मुसलमानों को “नमक हराम” कहना व “बुर्के पर गीत गाना” का प्रयोग किया गया। उसी राजनीतिक प्रयोग की अगली कड़ी के रूप में अब योगी आदित्यनाथ ने हलाल को आतंकवाद से जोड़कर एक बार फिर उस रणनीतिक प्रयोगशाला को सक्रिय किया है, जिसका असली उद्देश्य केवल बिहार चुनाव को साधना प्रतीत होता है।

हालांकि, डेढ़ साल पहले, 18 नवंबर 2023 को उत्तर प्रदेश सरकार ने हलाल प्रमाणित खाद्य उत्पादों के उत्पादन, भंडारण, वितरण और बिक्री पर तुरंत प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया था। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस मुद्दे को दोबारा उठाना वास्तव में समाज और देश की सुरक्षा के लिए था, या यह सिर्फ चुनावी और राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है?

इस्लामिक और धार्मिक दृष्टिकोण: हलाल क्या है?

इस्लाम में “हलाल” का अर्थ है “वैध” या “अनुमति प्राप्त”। यह केवल खाद्य पदार्थों तक सीमित नहीं है, बल्कि वित्तीय लेन-देन, आचार-व्यवहार और जीवनशैली के अन्य पहलुओं में भी लागू होता है। हलाल प्रमाणन मुस्लिम उपभोक्ताओं के लिए एक विश्वास का प्रतीक है, जो यह सुनिश्चित करता है कि यह उत्पाद इस्लामिक नियमो के अनुसार हैं।

2023 में, भारत में लगभग 5,000 कंपनियों ने हलाल प्रमाणन प्राप्त किया था, जिसमें खाद्य और पेय पदार्थ, सौंदर्य प्रसाधन, दवाइयाँ, और अन्य उपभोक्ता उत्पाद शामिल थे।

प्रमुख उत्पाद श्रेणियाँ:

  • मांस और पोल्ट्री: हलाल प्रमाणन मांस उत्पादों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह इस्लामिक आहार नियमों के अनुसार वध और प्रसंस्करण को सुनिश्चित करता है।
  • दवाइयाँ और पोषण सप्लीमेंट्स: इन उत्पादों में हलाल प्रमाणन यह सुनिश्चित करता है कि सामग्री और प्रसंस्करण विधियाँ इस्लामिक आहार कानूनों के अनुरूप हैं।
  • सौंदर्य प्रसाधन: हलाल प्रमाणित सौंदर्य उत्पादों में सामग्री और उत्पादन प्रक्रियाएँ इस्लामिक सिद्धांतों के अनुसार होती हैं।
  • अन्य उपभोक्ता उत्पाद: हलाल प्रमाणन अन्य उपभोक्ता उत्पादों के लिए भी लागू होता है, जैसे कि कपड़े, जो इस्लामिक सिद्धांतों के अनुसार निर्मित होते हैं।

हलाल प्रमाणन देने वाली प्रमुख संस्थाएँ

ऊपर हलाल प्रमाणन देने वाली प्रमुख संस्थाएँ के नाम व उनके वेबसाइट लिकं दिये गये है, आप स्वयं लिंक पर क्लिक कर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

प्रमाणन संस्थाओं की स्थिति: सरकारी या निजी?

निजी क्षेत्र की संस्थाएँ:

भारत में हलाल प्रमाणन देने वाली अधिकांश संस्थाएँ निजी क्षेत्र की हैं, जैसे कि हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, हलाल प्रमाणन सेवाएँ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, और जमीयत उलमा-ए-महाराष्ट्र।

सरकारी क्षेत्र की सहभागिता:

हालांकि भारत में कोई केंद्रीय सरकारी हलाल प्रमाणन प्राधिकरण नहीं है, फिर भी क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (QCI) ने इंडिया कंफॉर्मिटी असेसमेंट स्कीम (i-CAS) – हलाल स्थापित की है, जो मांस और मांस उत्पादों के निर्यात के लिए हलाल प्रमाणन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करती है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का हलाल प्रमाणन

वैश्विक स्वीकृति: भारत में हलाल प्रमाणन प्राप्त उत्पादों को कई मुस्लिम बहुल देशों में स्वीकार्यता प्राप्त है, विशेष रूप से मांस और मांस उत्पादों के लिए।

निर्यात बाजार: भारत का हलाल मांस निर्यात 2022 में 4.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था, जो वैश्विक मांग को दर्शाता है।

उत्तर प्रदेश सरकार के बयान में हलाल को आतंकवाद और धर्मांतरण से जोड़ना न केवल धार्मिक समुदाय के लिए अपमानजनक है, बल्कि यह संविधान द्वारा प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता का भी उल्लंघन है, इसका असर वैश्विक बाजार में भारत के निर्यात पर भी पड़ेगा ।

भारत से हलाल मांस निर्यात: प्रमुख देश और उनका योगदान

भारत से हलाल प्रमाणित उत्पादों का निर्यात वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विशेष रूप से मांस उत्पादों के निर्यात में भारत अग्रणी देशों में शामिल है। निम्नलिखित तालिका में 2023-24 के दौरान भारत से हलाल मांस के निर्यात के प्रमुख देशों का विवरण प्रस्तुत किया गया है:

देशनिर्यात शिपमेंट्स की संख्याकुल निर्यात में हिस्सेदारी (%)
वियतनाम14,90643%
मलेशिया7,06520%
सऊदी अरब2,8438%
संयुक्त अरब अमीरात (UAE)डेटा उपलब्ध नहींडेटा उपलब्ध नहीं
कतरडेटा उपलब्ध नहींडेटा उपलब्ध नहीं

स्रोत: Volza Global Trade Data (अक्टूबर 2023 से सितंबर 2024 तक)

भारत के हलाल मांस निर्यात में वियतनाम, मलेशिया और सऊदी अरब का संयुक्त योगदान लगभग 71% है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि ये देश भारत के प्रमुख निर्यात बाजार हैं।

भारत से अन्य हलाल प्रमाणित उत्पादों का निर्यात: प्रमुख देश और उनका योगदान

यदि आप अन्य हलाल प्रमाणित उत्पादों के निर्यात के बारे में जानकारी चाहते हैं, तो मै आप को बताता चलू कि भारत मांस के निर्यात के इलावा भी अन्य हलाल प्रमाणित उत्पादों को निर्यात करता है, जिनमे डेयरी, मसाले, चाय, कॉफी, या बेकरी आदि प्रमुख है निम्नलिखित तालिका में 2023-24 के दौरान इन उत्पादों के प्रमुख निर्यात देशों का विवरण प्रस्तुत किया गया है:

उत्पाद श्रेणीप्रमुख निर्यात देश (2023-24)निर्यात की प्रमुखता (%)
हलाल मांसवियतनाम, मलेशिया, सऊदी अरब, UAE, कतर70% से अधिक
डेयरी उत्पादसऊदी अरब, कुवैत, UAE, ओमान, बहरीन60% से अधिक
मसालेUAE, सऊदी अरब, बांग्लादेश, थाईलैंड, मलेशिया60% से अधिक
चायUAE, इराक, ईरान, रूस, यूके, यूएसए20% से 40%
कॉफीइटली, बेल्जियम, रूस, यूएसए10% से 20%
बेकरी उत्पादयूएसए, UAE, यूके, कनाडा, यमन10% से 20%
स्रोत: विभिन्न सरकारी और व्यापारिक रिपोर्टें (जैसे APEDA, IBEF, FAS USDA)

महत्वपूर्ण बिंदु:

  • हलाल मांस: भारत से हलाल मांस का प्रमुख निर्यात वियतनाम, मलेशिया, और सऊदी अरब जैसे देशों में होता है, जो वैश्विक हलाल मांस बाजार में भारत की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी को दर्शाता है।
  • डेयरी उत्पाद: सऊदी अरब और कुवैत जैसे देशों में भारतीय डेयरी उत्पादों की मांग में वृद्धि देखी गई है, विशेष रूप से स्किम मिल्क, इवापोरेटेड और कंडेन्स्ड मिल्क, योगर्ट, और पनीर की श्रेणियों में।
  • मसाले: भारत मसालों का प्रमुख उत्पादक और निर्यातक है, और UAE, सऊदी अरब, और बांग्लादेश जैसे देशों में भारतीय मसालों की मांग उच्च स्तर पर है।
  • चाय: भारत चाय का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है, और UAE, इराक, ईरान, रूस, और यूके जैसे देशों में भारतीय चाय की खपत में वृद्धि देखी गई है।
  • कॉफी: भारत की कॉफी निर्यात में इटली, बेल्जियम, और रूस जैसे देशों की महत्वपूर्ण भूमिका है, और 2023-24 में भारत ने $1.8 बिलियन मूल्य की कॉफी का निर्यात किया।
  • बेकरी उत्पाद: भारत से बेकरी उत्पादों का निर्यात यूएसए, UAE, और यूके जैसे देशों में होता है, और 2023 में इन उत्पादों का निर्यात $86 मिलियन था।

यदि आप किसी विशेष उत्पाद श्रेणी या देश के बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं, तो कृपया मुझे मेल करें; मैं संबंधित जानकारी नई ब्लाग पोस्ट या रीवर्ट मेले के जरिये आपको सुचना प्रदान कर सकता हूँ।

संवैधानिक और कानूनी परिप्रेक्ष्य: धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन?

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25 धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है, जो प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म का पालन करने, प्रचार करने और उसका अभ्यास करने का अधिकार प्रदान करता है। 18 नवंबर 2023 को हलाल प्रमाणन पर प्रतिबंध लगाना इस अधिकार का उल्लंघन था।

इसके अलावा, व्यापार की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19) भी प्रभावित होती है, क्योंकि हलाल प्रमाणन से जुड़े व्यवसायों को आर्थिक नुकसान हो सकता है। अदालत में इस निर्णय को चुनौती दी गई है, और सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी किया है, जिसमें दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाई गई है।

सामाजिक और आर्थिक प्रभाव: व्यापार और समाज पर असर

हलाल प्रमाणन से जुड़े व्यवसायों, जैसे मांस, प्रसंस्कृत खाद्य और सौंदर्य प्रसाधन उद्योग, पर इस प्रतिबंध का सीधा असर पड़ा है। निर्यात के लिए हलाल प्रमाणन आवश्यक है, और इस प्रतिबंध से अंतरराष्ट्रीय व्यापार भी प्रभावित हो सकता है।

सामाजिक दृष्टिकोण से, इस निर्णय ने मुस्लिम समुदाय में असुरक्षा की भावना को जन्म दिया है, और समाज में धार्मिक पहचान के आधार पर विभाजन को बढ़ावा दिया है।

राजनीतिक परिप्रेक्ष्य: चुनावी रणनीति या सामाजिक सुरक्षा?

विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों का आरोप है कि “हलाल बैन” को जानबूझकर बिहार विधानसभा चुनाव के समय उछाला गया है, ताकि बहुसंख्यक वोट बैंक को लुभाया जा सके। यह कदम समाज में धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने और चुनावी लाभ प्राप्त करने की रणनीति प्रतीत होती है।

मीडिया में भी इस मुद्दे को लेकर बहस छिड़ी हुई है, जिससे समाज में असहमति और तनाव उत्पन्न हो रहा है।

निष्कर्ष: हलाल बैन – सुरक्षा या राजनीति?

हलाल बैन अब केवल खानपान का मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह एक राजनीतिक रणनीति बन गई है। यह कदम धार्मिक स्वतंत्रता, संवैधानिक अधिकार और सामाजिक संतुलन के लिए खतरे की घंटी है। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि हलाल प्रमाणन केवल एक धार्मिक प्रथा नहीं, बल्कि एक विश्वास और पहचान का प्रतीक है।

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